Super star [Rajani kant] के जीवन की पूरी कहानी { THE Motivation}

 गुस्सा अंदर से दबा हो न चाहिए | लेकिन नज़र नहीं आना चाहिए  न ही जाहिर होना चाहिए गुस्सा आपसे वो करवा सकता है जो साएड हुनर भी बही करवा सकता |

                                                                                                                          रजनी कान्त 

रजनी कान्त जी अपनी आवाज़ मे कहते है की मे उनसे क्या मिला मेरा जीवन ही बदल गया |

 मेने मद्रास आकार फिल्म जॉइन की और एक्टर बनाना चाहा | लेकिन पहले कभी हेरो बनाने की सोची भी नहीं थी | और तब तो तमिल भी नहीं जनता था के , बालचनदेर को आप 70 के दसक का महान आदमी भी कह सकते है उन्होने मुझसे बस यह बात कही थी की तुम केवल तमिल सीख लो फिर देखो तुम्हें मे कहा ले जाता हु | 


उनमे बहुत ज्यादा आत्म विसवास था इसलिए मुझमे भी वो जागा | क्यो की कई बार आप अपने बड़ो से ही सीखते हो |

और वो समय मेरे लिए बहुत खास था | 1970 का दसक खत्म होने चला था | मेरी कुछ फिल्मे  रिलीज हो चुकी थी | 16 वायथीनीले  रिलीज़ हुए दो हफ्ते हो चुके थे| फिल्म के बारे मे हमे कुछ पता नहीं था की लोग इतना पसंद कर रहे था | उस समय सब कुछ धीरे -2 होता था मुझे एक प्रोदुसर का कॉल आया और वो रोल मुझे देना चाहते थे |


 रोल अच्छा था और मेरे पास समय भी था मेने 10 हजार रुपये मांगे थे बात छ हजार पर पक्की हुई मेने टोकें के लिए कहा  तब उन्होने कहा की अभी ठो उनके पास रुपये नहीं है वो एक हजार बाद मे देंगे | शूट वाले दिन भी एडवांस नहीं मिला | मे एक टेलीफोने बूथ पर गया और निर्माता से बात की  |


 उन्होने कहा की वो लोकेशन पर आ रहे है तब तक मे मेकअप करवा लू वो एडवांस तो देंगे | अगले दिन मे फिर शूट पर गया लेकिन एडवांस नहीं मिला मेने मेकअप करवाने से माना कर दिया | और कहा की जब तक एक हजार रुपए नहीं मिलेंगे मे काम नहीं करुगा | जिससे फिल्म निर्माता नाराज़ हो गए | और आते ही भड़क गए 'तुम अपने आप तो समझते हो क्या ? 

तुम बाद कलाकार बन गए हो ? कुछ फिल्मे क्या कर ली बिना एडवांस के मेकअप नहीं करवाओगे | 


तुम्हारे लिए मेरे पास कोई काम नहीं है जाओ यहा से | मेने उनसे घर छुड़वाने  के लिए कहा तो वे खुद चले गए | मेरे पास रुपए नहीं है मे पेडल ही घर निकल  गया | काफी दुखी भी था | और देखा की बसो से लोग मुझे देख कर चिल्ला रहे थे | और बोल रह थे की परताई ऐसा केसे करे | 


जो की मेरी  ही एक फिल्म का डाइलोग था वो मुझे देख कर काफी खुस थे | लेकिन मुझे लगा क वो मेरा मज़ाक उड़ा रहे है | और मेने गुस्से से कहा की अगर मे अगर मे बड़ी कार मे avm स्टुडियो मे नहीं आया तो मेरा नाम भी रजनी कान्त नहीं | 

और मेने करीब चार साल बाद avm स्टुडियो से बड़ी कार खरीदी और एक ड्राईवर भी रखा जो की छ फुट का था और उसके लिए बेल्ट और उनीफ़ोर्म भी दिलवाई | और फिल avm चलने को कहा और वही गाड़ी उनके  सामने खड़ी कर दी | दो सिगरेट जलायी aur ठाठ उतारा | कहने का मतलब था की यहा रुकने मे लिए साहस और मेहनत की जरूरत होती है , और साथ मे थोड़ा गुस्सा भी जरूरी है |

 यह गुस्सा अंदर दबा होना चाहिए | नज़र नहीं आना चाहिए ,और ना ही जाहीर होना चाहिए | गुस्सा आपसे वो करवा सकता है 

जो की टैलंट नहीं करवा सकता है | 


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