स्वामी विवेकानंद -एक प्रेरणा दायक कहानी हिंदी में -Teach About Success

 स्वामी विवेकानंद -एक प्रेरणा दायक कहानी हिंदी में -Teach About Success



तो एक बार की बात है स्वामी विवेकानंद जी कही जाने के लिए ट्रेन के का इन्तजार कर रहे थे , उन्हें यह भी पता था की ट्रेन आने में बहुत देर है , कुछ खराबी के कारण , इसलिए उन्होंने इन्तजार करने की सोची , और एक जगह जाकर ध्यान में लग गए , थोड़ी ही देर बार उन्हें बहुत जोर की भूख लगती है और उन्हें कुछ खाने की इच्छा होती है , लेकिन उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं होता है , इसलिए वे भूख से बिलखते हुए अपने गुरु को याद करने लगते है जिनका नाम रामक्र्शन परम हंस जी था , जो की उस समय के बहुत बड़े साधू थे , उनको याद करने लगे , और थोड़ी देर  बाद और कसर रह गयी थी वही भी पूरी हो गयी जन एक बड़ा और धनवान इंसान वह आता है ,और स्वामी जी की चिढ़ाते हुए , अपना खाना बाहर निकालता है ,और यह कहते हुए खाता है की यह खाना तो और भी स्वाद है काश मुझे और भी मिल जाता , इसे देखकर उनकी भूख और भी बढ़  जाती है और भूख के मारे वे अपने गुरु को याद करने लगते है , थोड़ी ही देर बाद उस शहर का सबसे अमीर सेठ जो की दोपहर की सो रहा था उन्हें एक सपना आता है की भगवान श्री राम जी उन्हें यह कह रहे है की आपके ट्रेन स्टेशन के पास एक साधु जी बेठे हुए है ,क्रप्या कर उन्हें भोजन खिला सकते है , और थोड़ी ही देर बाद सेठ जाग गया और उस सपने को हल्के में लेकर वापस सो गया , और थोड़ी ही देर बाद भगवान् श्री राम जी का वही सपना आता है जिसमें वे स्वामी विवेकानन्द जी के बारे में बाते करते है , लेकिन इस बार सेठ ने सोचा की इस सपने का कुछ तो सच होगा इसलिए तो यह बार -बार आ रहा है , इसके बारे में जानने के लिए सेठ खाने का सामने लेकर स्वामी जी के पास ट्रेन स्टेशन पर जाते है , जहा स्वामी की साधना कर रहे थे और अपने गुरु को याद कर रहे थे , और थोड़ी ही देर बार सेठ उनके पास गया और , उनके चरण छूते हुए कहने लगा की आप क्रप्या खाना खा ले , आप भूखे होंगे , जब स्वामी जी ने उनसे पूछा की आपको कैसे पता की में यहाँ बेठे भूख से बिलख रहा हु तो सेठ ने सारी कहानी उन्हें बड़े विस्तार से बताई , तब वे कहने लगे की में तो अपने गुरु को याद कर रहा था तब यह कैसे हुआ |  और यह कहते हुए वे अपने गुरु की महिमा के बारे में मान गए की वे कोई मामूली इंसान नहीं है | 


मोरल - तो दोस्तों इस कहानी से हमें पहले तो यह शिक्षा मिलती है की किसी भूखे को खाना पिलाना सबसे बड़ा धर्म है और साथ की रामक्र्शन परम हंस जी के जीवन के बारे में भी जानने को मिलता है | 


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