असफलता का ड र दिमाग से निकालने से आपकी सफलता लगभग तय हो जाती है |

                       ज्यादा बोलने से फाइदा नहीं नुकसान होता है 

                                                                           सरदार वल्लभ भाई पटेल (1875 -1950)

असफलता का ड र दिमाग से निकालने से आपकी सफलता लगभग तय हो जाती है |

आज यानि की 31 october को एश्वर्या राय बच्चन का जन्मदिन है और इसी की याद मे वे अपनी लाइफ की कुछ टिप्स  बताती है जो की मेरे ख्याल से आपको भी जननी चाहिए की वे अपनी आवाज मे कहती है की मे मेंगलोर की हु लेकिन मुंबई से पली बढ़ी  हु |

 इसकी वजह से बचपन मे मेरी आंखो के रंग की वजह से और बालो की वजह से मेरी बहुत तारीफ होती है और मुझे quite कहा जाता था |


लेकिन एसी भी तारीफ नहीं होती थी की मेरे पेरो तले एस जमीन खिसक जाये |

कॉलेज मे मेरी एक प्रोफेसर  थी और वे मेगजीन्स मे जन्र्लिस्म का काम करती थी | उन्होने मुझसे fasion feature की गुजारिश की तब मेने वो कर दिया | इसके बाद भी वो जब बोलती तो मे कर देती थी | इससे मेरा कुछ नाम हो गया फिर मुझे मिस वर्ल्ड का ताज मिला | 



और वो मेरी कम उम्र मे बहुत बड़ी सफलता थी और इसे संभालने मे मुझे लगता  है की मेरे बचपन की चीजे मेरी मदद की थी | मुझे बचपन से ही लोगो के सामने कुछ कर दिखाने का जुनून था | मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ता की मे की मे मेरी जीत का कारण मेरे भगवान की और मेरे परिवार वालों को  देती थी |

 मे आर्टिक्त बनाना चाहती थी लेकिन फिल्मों से तो ऑफर तो मुझे मिस वर्ल्ड बनाने से पहले ही आने शुरू हो गए थे | लेकिन फिर भी मे आगे की पढ़ाई करना चाहती थी | जब आप carrerबदलने का फेसला लेते है तो कई बड़े नुकसान नजर आते है तो मे मुझे एक गारंटी देना चाहती थी

 लेकिन हर बार वो नहीं  होता जो की आप सोचते है | वेसे फिल्मों मे जाना जुआ जेसा नहीं था मुझे इतने ऑफर मिले थे की मुझे यहा कोई खतरा नहीं दिख रहा था बस यही डर था की वो काम करने वाली हु जो की मेरे परिवार मे किसी ने नहीं किया है |


मुझ पर जवाबदेही बनती है की जो मुझे उस वक्त लगा था की मेरे बच्चो के प्रति  होगी |

वेसे मेने नहीं सोचा था की फिल्मों मे मे असफल हौगी |मुझे लगता है की जीत आपकी तभी तय हो जाती है जब आप  असफलता को दिमाग से निकाल देते है | लेक्न मेने फिल्मों को बतोर कैरियर चुना था और प्रोफेसनल रूप से अपनाना चाहती थी | अगर मे वर्किंग वुमेन हु तो मुझे काम करना ही होगा |

 मे यह नहीं कर सकती हु की मे आराम से बेठ जाऊ | और मेरा काम दूसरों स करता देखू | मेने कैरियर की शुरुआत मे मेने अपने काम को मेनेज करना सीख लिया था 

 भाव -तव तब तक किए की जब तक आप दूसरों पर उंगली नहीं उठाते है यह आपको जिम्मेदार बनाता है और आपको की अपने सवालो का जवाब खोजना पड़ता है |



Thanksyou 

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