पंडित के बेटे की समझदारी
पंडित के बेटे की समझदारी | best motivational story in hindi for students. |
एक बार की बात है जब विजयनगर नाम का एक शहर हुआ करता था , और उसका एक राजा रावगोपाल हुआ करता था | उसके अपने उपर बहुत घमंड था , लेकिन एक दिन उसका सामना एक पंडित के बेटे से हुआ , राजा में अपनी दोलत का घमंड दिखाते हुए , उसके सामने सोने की और चांदी की मोहरे रख देता था |
और कहता की इस में से तुम्हे जो पसंद आये तुम वो रख सकते हो , यह सुन वह लड़का चांदी की मोहरे ले लेता था ,जिससे दरबारी बहुत ही हेरान होते उस पर जोर -जोर से हसने लग जाते | और यह काम हर 7 दिन बाद होते राजा उस लडके को बुलाता और उसे मोहरे देता | और हर बार की तरह वह लड़का चांदी की मोहरे ही उठाता था , लेकिन एक दिन राजा में उस लडके को ना बुलाकर उसके पिताजी जो की एक पंडित भी थे उन्हें बुला लिया , अब पंडित जी को सारी बारे बताई गई , और अपने बेटे की नासमझी को सुन वह पंडित बुत शर्मिंदा हुआ और अपने घर की और जाने लगा |
लेकिन अपने बेटे से नाराजगी थोड़ी ही देर में ख़तम हो गयी जब उसके बेटे में सारी बाते अपने पिता को बताई | और अपने कमरे के अंदर जो की एक आलमारी रखी थी उसके ले जाकर उस आलमारी को खोल कर अपने पिता को चांदी की मोहरों से भरा संदूक दिखाता है | वह पंडित बहुत हेरान हो जाता है और कहने लगता की मेरे बेटे से अच्छा और कोई बेटा नहीं |
शिक्षा - इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है की कई बार हम ऐसा काम करते है जो की होता तो अच्छा है लेकिन दुनिया उसे स्वीकार नहीं करती और इसी कारण हम उसे छोड़ भी देते है | लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए हमें लोगो की चिंता किये बिना उस काम को करना चाहिए , और अपने सपने को पूरा करना चाहिए |
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