दशहरा क्यों मनाया जाता है ? या विजय दशमी का क्या महत्व है एक निबंध ,कथा ,कविता या फिर शायरी

 दशहरा क्यों मनाया जाता है ? या विजय दशमी का क्या महत्व है एक निबंध ,कथा ,कविता या फिर शायरी 

दशहरा आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है |


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दशहरा या विजय दशमी पर एक निबंध 

दशहरा (विजय दशमी ) हिन्दुओ का एक ख़ास त्यौहार है , जिसे अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है | इस दिन भगवान् राम ने रावण का वध किया था , या फिर आप यह कह सकते हो की इस दिन देवी दुर्गा ने 9 रातो के बाद दस वे दिन लड़ाई के बाद महिषा शुर का वध किया था , इसे सत्य की असत्य के उपर जीत के रूप में मनाया जाता है |



दशहरा कब है 2022

अगर दशहरे की बात करे तो यह आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन आता है यानी की इस बार यह दिन 5 oct का दिन है , इस लिए विजय दशमी या फिर दशहरा  5 oct को मनाया जायेया |




दशहरा या फिर विजय दशमी क्यों मनाई जाती है हिंदी में |

वैसे तो यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है लेकिन इसके अलावा अगर हम कहानियो की बात करे तो बहुत सी कहानिया है जैसे की -

  • इस दिन भगवान् राम जी में रावण का वध किया था |

  • इस दिन देवी दुर्गा में महिषा सुर का वध किया था |

  • इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है |




आइये इसे और स्पष्ट रूप से समझते है - जब पिता दशरथ के कारण भगवान् राम जी को वन वाश मिला था तो वे और साथ में उनके छोटे भाई लक्ष्मण और अपनी पत्नी सीता सहित वे  जंगल की और निकल पड़े , और एक अच्छी सी जगह जाकर रहने लगे , एक दिन राक्षस राज रावण की बहन शूर्प नखा  नाम की उनकी बहन वन में आई और उसका मन लक्षमण पर आ गया लेकिन लक्षमण पहले से ही शादी -शुदा होने के कारण वह नहीं माना इसे नाराज़ होकर वह उसने हमला करना चाहा लेकिन उसकी यह कोशिश का काम याब हुई और लक्षमण जी में गुस्से में आकर उसकी नाक काट दी , जब यह बात उसके भाई रावण को पता चली तो वह बहुत गुस्सा हो गया और उसने देवी सीता का अपहरण करने की ठानी ,  और इसी के लिए उसने एक दिन ब्राहमण का रूप धारण कर धोखे से देवी सीता का अपहरण कर लेता है ,  फिर बाद में भगवान् राम जी अपनी पत्नी को छुडाने के लिए रावण से लड़ाई करते है और इसमें उनका साथ हनुमान जी और बाकी सभी वानर सेना उनका देती है , और अंत में वे रावण का वध कर देवी सीता को वापस ले आते है |


वैसे तो देखा जाए तो यह भगवान् ही की एक लीला ही थी असली मकसद तो पापी रावण का वध करना था , जो की उन्होंने किया , और इसमें उनका साथ देवी देवताओं में भी दिया था | 


अब जिन लोगो को नहीं पता की रावण को मारने की नौबत क्यों आई तो उनके लिए है की रावण एक पापी राजा था यानी की वह एक राक्षस था , लेकिन उसके पिता विश्र्वा एक ब्राहमण थे लेकिन उसकी माँ एक राक्षस थी , इसलिए उसके पास सभी का ज्ञान था वह ब्राहमण के जैसे चतुर था तो राक्षस भी था , इसके अलावा वह भगवान् शिव जी का भक्त भी था और उनकी पूजा किया करता था , और भगवान् विष्णु जी का दुश्मन था , और इसके अलावा वह भोली भाली जनता को बहुत सताता था , इसलिए उससे मारने की नौबत आई |


लेकिन इसका मतलब यह नहीं की रावण एक राक्षस के रूप में ही जाना जाता है कई जगह रावण की पूजा भी होती है जैसे की -कर्नाटक के कोलार ,मध्य प्रदेश के मंदसौर , राजस्थान के जोधपुर में ,आंद्र प्रदेश के काकीनाडा , हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ में आदि जगह पर रावण की पूजा की जाती है |



दशहरा या विजय दशमी कैसे मनाई जाती है हिंदी में ?

दशहरे के दिन या फिर विजय दशमी के दिन कई जगह पर मैले का आयोजन किया जाता है , और दुकाने लगती है  जहा मिठाइया और खिलोने मिलते है , और इसके साथ बच्चे और जवान और बुड्डे सभी रावण बनाकर रावण का दहन करते है और साथ में मेघनाथ और कुम्भ कर्ण का भी दहन होता है , जिन्हें बुराई का प्रतिक माना जाता है उनका दहन किया जाता है  , साथ में जो लोग रावण दहन करते है वे सभी अपनी सभी बुराइया ख़त्म हो जाए इसकी भगवान् से प्राथना करते है , और इसी के साथ ही दशहरा या फिर विजय दशमी बड़ी ही धूम धाम से मनाई जाती है | लेकिन इसके अलावा इस दिन कई जगह पर रावण की पूजा भी की जाती है | 



दशहरा या फिर विजय दशमी पर कविता और शायरी |

  1. राम नाम का जाप करे यह अहंकार विनाशी है , जिन्होंने रावण का नाश किया था वही अयोध्या वाशी है |

  2. बुराई कर अच्छाई की जीत और झूठ पर सचाई की जीत अहम् ना करो गुणों पर यही है इस दिवस की सिख |

  3. अधर्मी का करके विनाश फैलाया राम राज करो ,आज यह प्रतिज्ञा करो की सभी बुराइयों को ख़त्म करोगे |

  4. माता सीता की खोज में किया लंका पर दिलाया सभी दुखियो को विश्वास तोड़कर महा अहंकारी का अहंकार किया दुखियो का उधार |

  5. सिखाया सेवक का भाव जिसने उसी में बताया मित्रता का व्यवहार ऐसा रोचक था रामायण पुराण जिसने सिखाया जीवन ज्ञान |


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