नवरात्रा के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में | माँ दुर्गा के कितने रूप है ,माँ दुर्गा के सभी नाम , नवरात्र क्यों मनाई जाती है ?| Teach About Success

                             

 नवरात्रा के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में | माँ दुर्गा के कितने रूप है  ,माँ दुर्गा के सभी नाम , नवरात्र क्यों मनाई जाती है ?

             
नवरात्रा फुल इनफार्मेशन इन हिंदी 


table of content (toc)

माँ दुर्गा के कुल कितने रूप है सभी के नाम हिंदी में |

आइये आज हम इस पावन अवसर पर जाने की माँ दुर्गा के कुल कितने रूप है ?


माँ दुर्गा के यह रूप निम्न है -

  1. माँ शैलपुत्री 

  2. माँ भार्मचारानी 

  3. माँ चन्द्र घंटा 

  4. माँ कुष्मांडा 

  5. माँ स्कन्द माता 

  6. माँ कात्यायनी 

  7. माँ काल रात्रि 

  8. माँ महागौरी 

  9. माँ सिधिधात्री 

  10. और देवी दुर्गा 



नवरात्र के 9 दिनों में किन -किन की पूजा होती है हिंदी में |


सबसे पहले हम बात करते है माँ शैल पुत्री की जो की देवी दुर्गा के पहले अवतार के रूप में मानी जाती है | मानो की 9 दुर्गाओ में प्रथम दुर्गा यही है | इनके बारे में जाने तो इनका जन्म पर्वत राज हिमालय के घर पुत्री के रूप में हुआ था , और इसी के कारण इनका नाम शैल पुत्री पड़ा था |  नवरात्र के प्रथम दिन इन की ही पूजा होती है | 


माँ शैल पुत्री की पूजा कैसे की जाती है हिंदी में ?

 अगर हम इसके बारे में बात करे तो माँ शैल पुत्री की पूजा पुरे विधि विधान के साथ की जाती है , नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ इस देवी की पूजा की जाती है , , 


माँ शैल पुत्री के दिन सुबह सवेरे उठ कर स्नान करे और अपने कपडे पहने , और पूजा करने वाली जगह पर लाल रंग का कपड़ा होना चाहिए और उस पर माँ शैल पुत्री की प्रतिमा रखे , फिर माँ को धुप दिखाए , और बाद में उन्हें लाल रंग के फर अर्पित करे | 



माँ शैल पुत्री का मंत्र क्या है ? हिंदी में |

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:। ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।



माँ ब्रहम चारिणी की पूजा कैसे की जाती है हिंदी में ?

माँ ब्रहम चारिणी की पूजा नवरात्र के दुसरे दिन की जाती है , इनके भक्त इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते है | और यदि हम इसके अर्थ के बारे में बात करे तो ब्रहम का अर्थ है - तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली | और तरह इनका अर्थ हुआ की तपस्या करने वाली देवी |


माँ ब्रहम चारिणी का मंत्र हिंदी में |

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥ 2. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।




माँ चन्द्र घंटा के रूप का वर्णन हिंदी में |

अगर हम नवरात्र के तीसरे दिन की बात करे तो इस दिन माँ चन्द्र घंटा की पूजा की जाती है , माता का रूप चमकीला होगा है और इनके 3 नेत्र और 10 हाथ है , और इनके हाथ में कर -कमल , गदा , बाण , धनुष , त्रिशूल , तलवार , खप्पर , चक्र, आदि इनके अस्त्र और शस्त्र है | और इसी के साथ इन्हें ज्ञान भी भरपूर है और  इनकी सवारी शेर है , और युद्ध लड़ने के लिए हमेशा तेयार ही रहती है |



माँ चन्द्र घंटा का मंत्र हिंदी में |

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने। श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥


माँ कुष्मांडा का कुष्मांडा माँ कैसे पड़ा हिंदी में ?


नवरात्र के 4 थे दिन जिस माता की पूजा होती है उनका नाम है ना कुष्मांडा , लेकिन क्या आप जानते है की इनका यह नाम क्यों पड़ा , तो अपनी अपनी हलकी मुस्कान और ब्रह्माण्ड को बनाने के कारण इन्हें माँ कुष्मांडा कहा जाता है | संस्क्रत भाषा में कुष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ होता है | और इसी के साथ बलियो के कुम्हड़ की बलि इन्हें सबसे ज्यादा प्यारी है , और इसी के कारण भी इन्हें कुष्मांडा कहा हाता है |


माँ कुष्मांडा का मंत्र हिंदी में |

ॐ कूष्माण्डायै नम:।। ' देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।




माँ स्कन्द माता कौन है हिंदी में ?

भगवान् स्कन्द यानी की कार्तिक्ये की माता होने के कारण माँ दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्द माता के नाम से जाता जाता है | यह कमल पर विराजमान रहती है , इसके कारण इन्हें पध्माशन देवी भी कहा जाता है | इनका वाहन शेर है और इसी के साथ इन्हें कल्याणकारी शक्तियों की देवी के रूप में भी जाता जाता है | इसके अलावा देवी माँ की पूजा करने पर इनके बाल रूप स्कन्द की पूजा अपने आप हो  जाती है और इनके भक्तो की इच्छाए भी पूरी होती है |



माँ स्कन्द माता का मंत्र हिंदी में |


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। 



माँ कात्यायनी कौन है ? हिंदी में |



माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है।


माँ कात्यानी का मंत्र हिंदी में |


कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥ मां कात्यायनी का स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥





माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते।

मां का यह है ध्यान मंत्र

कालरात्रि देवी का सिद्ध मंत्र… 'ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:। ' एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।


एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।



नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।










Post a Comment