अपने काम और सोच मे तालमेल होना जरूरी है क्यो
धन - सम्पदा सबसे पहले इंसान के मन मे पेदा होती है | येदी मन उसके खिलाफ सक्रिय है तो धन -सम्पदा होता बिलकुल ना के बराबर है | चाहना कुछ और करना कुछ और यह एक घातक स्थिति होती है | सारी प्रकार की रचना पहले हमारे मन मे उत्पन्न होती है | बाद मे मन मे बनाए ढ़ांग - ढ़ाचे के आधार पर वह रचना कुछ चीज तत्व के रूप से साकार होती है
येदी आप किसी चीज को नहीं चाहते तो उसे आप अपनी ज़िंदगी मे कभी भी हासिल नहीं कर पाते यह बिलकुल ना मूमकिन सा हो जाता है जब आपका पर एक -एक कर असफलता की तरफ आगे बढ़ते जाते है तो आप सफलता को केसे हासिल कर सकते है क्यो की आप उसे पाना ही नहीं चाहते है |
अंधकार की और मुह किया हुआ है तो आप रोशनी की आशा केसे कर सकते है और निराशा से मन मन भरा हुआ है और आपका मन बिलकुल चिंता मे भरा हुआ है तो आप केसे सफलता पा सकते है फिर आपकी सारी पावर बिलकुल बेकार साबित हो जाती है
बहुत से लोग अपनी ज़िंदगी की कठिनाइयो को सामना नहीं कर पाते वे अपनी ही कई कोशिश को बेकार कर देते है क्यो की उनकी मानसिक स्थिति और परिस्थिति मे परस्पर तालमेल ही नहीं है |
काम किसी और उद्देस्य के लिए करना और सफलता आप किसी और के लिए करना यह तो गलत बात है |
यदि आपको सफलता पाना है तो आप को द्रड निश्चय के साथ आत्मविश्वास को अपने मान मे रखना ही होगा नहीं तो आपको सफलता नहीं मिल सकती ये दो चीज आपको अपने आप मे रखनी ही होगी |
सफल होने का यही फॉर्मूला है की आप जिसकी कामना करते है उसे पाने की आशा भी करे और उसे किसी भी हाल मे पाने की कसं ही क्यो ना खा ले आपको उसे पाना ही चाहिए |
यदि आप अपनी ही पावर और का करनी की शक्ति की ही नहीं पहचान रहे आपको यही नहीं पता की आप क्या नहीं कर सकते है तो उस समय आप सफलता नहीं मिलेगी आपको पहले आफ्ना टार्गेट और अपनी पूरी पावर के साथ उस काम को करना होता है |
और यदि आप ऐसा नहीं करते तो मान लीजिये की आप असफलता की तरफ जा रहे है | और आप अपने आप का ही नाश ही कर रहे है जो इंसान सच मे ही सफल होना चाहता है तो उसे सच मे सफलता के भावो मे भरकर रहना होता है |