धुर्व तारा यानी pole star की एक कहानी की आखिर यह कैसे बना हिंदी में

 धुर्व की कहानी -एक ऐसा  इंसान जिसने भगवान् को खोज निकाला था |

dhurv taare ke baare me ek kahani ki aakhir yh kaise bana 



एक बार धुर्व नाम का लड़का हुआ करता था , जो की राजा उतान्पाद और रानी सुनीति का बीटा और मनु का पोता हुआ करता था , उसके पिता के पास सुरुचि नाम की एक और रानी और उतम नाम का एक और बेटा हुआ करता था | और सुरुचि और उतम राजा के बहुत ही ख़ास थे , लेकिन बड़ा बेटा होने के कारण धुर्व अपने सिंहासन का उतराधिकारी था , इसी कारण सुरुचि उससे जलती थी , एक दिन उतम का अपने पिता की गोद में बेठे देख धुर्व के अंदर भी यह कामना जाग उठी , वह अपने पिता की गोद में बेठेने जा ही रहा था की उसी दौरान उसकी सौतेली माँ ने उसे गोद से उठा लिया |


और डांटते हुए कहा की केवल उतम ही अपने पिता की गोद में बेठ  सकता है , धुर्व को भगा दिया गया और राजा चुप चाप देखते रह गया | इस बात से नाराज़ होकर धुर्व अपनी माँ के पास गया , और उन्हें सुनीति के बारे में सब कुछ बता दिया , और तब उसकी माँ में कहा की तुम्हे अपने पिता की गोद में बेठेने के बजाये भगवान् की गोद में बेठने की इच्छा जताई | 


क्यों की उनके पिता तो नस्वर है , भगवान् अमर है , बालक धुर्व में अपनी माँ से कहा की वह भगवान् को कैसे धुंध सकता है ? इस पर इसकी माँ में बताया की भगवान तो हर जगह है , और वह अपना पूरा ध्यान एक जगह रख कर वह भगवान् को पा सकता है , उसे केवल लगातार भगवान् के बारे में सोचना है , धुर्व में अपनी माँ की इस बात को बहुत ही गंभीरता से ले लिया , और वह एक जगह बेथ कर लगातार भगवान् के बारे में सोचने लगा , उसने अपने मन को इतना ध्यान लगा लिया की उसे दुनिया की भी कोई चिंता नहीं रही |


और उसने अपनी भूख इच्छा को भी अपने वश में कर लिया, उस समय धुर्व केवल बालक था और उसे देख कर सब लोग चोक गए , और आखिर कार उनके सामने भगवान् आ ही गए धुर्व में उनसे पूछा की क्या वे सच में भगवान् है , भगवान् विष्णु में कहा हां , तब धुर्व में पूछा की तो क्या में अब आपकी गोद में बेथ सकता हु ? क्यों की में नहीं चाहता की कोई मुझे आपको गोद से उतारे ,|


भगवान् विष्णु ने उसकी इच्छा पूरी की | इसलिए माना जाता है की आज भी धुर्व भगवान् विष्णु की गोद में है , इस कहानी की कई परते है | एक स्तर पर यह कथा कारणों को बताती है , की आखिर कार धुर्व तारा आकाश में क्यों स्थित है ? पुराण की माने तो धुर्व वही धुर्व तारा है ,  


दुसरे स्तर पर एक रूपकात्मक कहानी है , की एक पिता अपने दोनों बेटो को समान अधिकार नहीं देता है , और बाद में ऐसा कुछ होता है |


इस तरह इस कहानी में मानव व्यवहार और आचारण का वर्णन किया हुआ है , यह कहानी हमें यह बताती है की किस प्रकार इंसान की मानवीय इछाये पूरी तरह से खातान हो जाती है , और इस इच्छा से दूर होने का एक ही रास्ता है की भगवान् के भक्त बन जाए , यह कहानी भक्ति परम्परा में आई है , जो की १५०० साल पहले उभरी और ५०० साल पहले आई |


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