नादान बुद्ध भिक्षु- most popular Indian motivational story in hindi/english 2022

Satya Pal
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 नादान बुद्ध भिक्षु- Indian motivational stories  for students

 नादान  बोद्ध भिक्ष

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 नमस्कार दोस्तो एक बार फिर से स्वागत है आपका इस साइट पर जिसमे आपको motivate रखने की भरपूर कोशिश की जाती है तो इसी कड़ी मे आज आगे बढ़ते हुए चलिये एक और कहानी आपके लिए लेकर आया हु जिसका नाम है  ''नादान बुद्ध भिक्षु '' जिसमे आपको बहुत सी जीवन मे ग्रहण करने वाली सीख मिलती है तो जुड़े रहिए आखिर तक 

 तो एक समय की बात है जब एक जंगल से एक बोद्ध भिक्षु जा रहा था जो की बिलकुल खाली हाथ बस अपने जरूरत के समान जेसे की खाने का समान , और भी बहुत सारी चीजे जो काम आ सकती है वो अपने साथ लिय जा रहा था |

 तब रास्ते मे एक घायल सैनिक जो की लड़ाई मे घायल हुआ था वह दर्द से रो रहा था जब उस भिक्षु मे उसे देखा तो उसे बहुत दया आई और उसके पास जाकर बोला की तू सब यह केसे सह लेती हो क्या तुम इस लड़ाई से थकते नहीं क्या आपके कारण ही इस दुनिया मे शांति नहीं फेल रही है , तब उस सैनिक मे उस भिक्षु के तर्क देते हुए कहा हु  यह तो मेरा कर्म है अगर मे यह सब नहीं करूंगा तो मे सैनिक केसे कहलाऊंगा |

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अपने परिवार का गुजारा केसे करूंगा , आपके लिय तो इस दुनिया मे रहना तो बहुत आसान होगा ना की आपको तो किसी भी चीज  की चिंता नहीं करनी पड़ती है ना ही परिवार की और ना ही खाने पीनी की तब ही अचानक एक चौर आया और उन के करीब कुछ ही दूरी पर अपना चुराया हुआ समान देख रहा था तब अचानक उस भिक्षु की नजर उस पर पद गयी और वे उन्हे भी कुछ कहने लगे और जिस से उसे भी उस सैनिक के जेसे बुरा लगा और उस सैनिक के जेसे ही कहने लगा की यह तो मेरा कर्म अगर मे यह सब नहीं करूंगा तो मे खाऊँगा क्या अपने परिवार का गुजारा केसे करूंगा |

तभी उस भिक्षु ने सोचा की उनकी बात भी सही है की जिस तरह मेरा कर्म ईश्वर की सेवा करना है और सैनिक का काम अपनी देश की सेवा करना है जेसे चौर का कर्म चोरी करना है ठीक उसी तरह हर इंसान का कर्म अलग अलग होता है 

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लेकिन इसका मतलब यह नहीं की वह गलत रास्ते पर चलेगा , इसलिए हमे वही काम करना चाइए जो की जो की देश के लिए और अपने लिए अच्छा हो अगर हमारा जन्म से हो काम है और वह आपको गलत लग रहा है तो आप इसे छोड़ सकते है |


सीख -

    तो दोस्तो इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की हमे वही काम करना चाहिय जो की हमे अच्छा लगे और जो की हमारा कर्म हो लेकिन हमे इस कहानी क उल्टा  भी नहीं लेना है की अगर हमारा गलत काम मे कर रहा है तो हम वह काम करे नहीं हमे वही काम करना है जो की हमे अच्छा लगे और जिसमे हमारा मन लगे क्यो की वही से हमे सफलता मिल सकती है


समापन -

 तो दोस्तो आखिर मे आप्क मे यही कहना चाहूँगा  अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो कोमेत्न कर जरूर बताना ताकि feedback मिल सके इस लिए कॉमेंट करना माल भूलना और चाहे कहानी काही भी जा रही हो लेकिन आपको सीख सकारात्मक रूप स ही लेनी है और इससे सीख लेनी है ||

 नादान  बोद्ध भिक्ष


Stupid Buddhist monk-study motivation story in hindi

So once upon a time when a Buddhist monk was going from a forest, who was taking with him empty handed just what he needed like food, and many other things that could be useful. Then on the way a wounded soldier who was injured in the battle was crying in pain when he saw him in that monk, he felt very pity and went to him and said that how do you bear all this, are you not tired of this fight? Is it not because of you that peace is not failing in this world, then giving the argument of that monk in that soldier, I said that this is my karma, if I do not do all this then how will I be called a soldier. Indian motivational stories for students How will I maintain my family, it will be very easy for you to live in this world, nor do you have to worry about anything, neither family nor food and drink, only then suddenly a chaur came and asked them He was looking at his stolen goods at a distance, then suddenly the monk's eyes fell on him and he started saying something to him and due to which he also felt bad like that soldier and started saying like that soldier. So if I do not do all this my work, then I will eat, how will I maintain my family? Then that monk thought that his point is also true that just as my work is to serve God and the soldier's job is to serve his country, just as the chaur's karma is to steal, in the same way every person's karma is different.

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But it does not mean that he will go on the wrong path, so we should do the same work which is good for the country and for ourselves, if we have work since birth and you feel wrong then you can leave it. |

(moral) Lessons -

So friends, we get this education from this story that we should do the work which we like and which is our karma, but we do not have to take the opposite of this story that if we are doing wrong work then we will do that work. Do not, we have to do that work which we like and in which we feel like because from that we can get success.

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