SOURAV GAANGULY के जीवन के अनमोल विचार हिन्दी मे ।

 किताबे  और टीम मीटिंग आपको बेहतर कप्तान नहीं बना सकते 

                                                                                    sourav ganguly

जब प्रेसर की आदत हो जाती है तब आपको उसमे भी मज़ा आने लग ता है |

    

तो दोस्तो आशा करता हु की यह ब्लॉग आपको अच्छा लगेगा क्यो की इसमे आपको पता चलेगा की एक inspiring person सौरव गांगुली और जीवन के बारे मे उनके विचार जो आपको motivate रखेगे |


तो ये कहते  की मुझे 2007 मे खिलाड़ियो मे नहीं चुना गया था  ,उस समय ग्रेग चेपल टीम के कोच थे उन्हे लगता था की अब मे टीम की कप्तानी करने ले लाएक नहीं हु , | एक sunday के समय मेरे पिताजी मेरे पास आए और कहने लगे की तुमने खौफ मैच खेले है लगभग 350 से ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता की तुम अब एक भी मैच और खेलो या नहीं ?


तुम्हारा मान अब इतिहास मे दर्ज़ हो चुका है | लेकिन मेने कुछ नहीं कहा लेकिन थोड़े दिन बाद वे फिर मेरे पास आए और कहा की तुमने कुछ सोचा भी या नहीं ? क्यो की उन्होने हर समय अखबारो मे देखा था की हर जीत के साथ मे टीम से अलग हो रहा हु | 

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और फिर था क्या जवाब मेने थोड़े दिन बाद दिया और कहा की मे थोड़े दिन और खेलना चाहता हु ताकि जब मे 40 साल का हो जाऊ तब अपने आप से यह नहीं कहना पड़े की सौरव तुमने गलत निर्णय लिया है , उस समय वक्त था | मेने वो दौर निकाला और टीम इंडिया मे वापसी की फिर मे पाँच साल तक और खेला और जब मेने अपना खेल छोड़ा तो सचिन ने मुझे कहा की सौरव तुमने अपने कैरियर का बेस्ट इन 5 सालो मे ही दिया है | 


उन्होने यह किस्सा इसलिए सुनाया ताकि आपको पता चले की सफलता और असफलता जीवन के दो पहलू होते है और इनमे दोनों का आना लाज़मी है बस फर्क इनता है की वो कब आए उनका हम को  पता नहीं चलता है, और कई दौर तो ऐसे भी आते है की हमे उन्हे स्वीकार करना हमारे लिए बहुत ही मुसकिल हो जाता है|


जब आपको race से बाहर निकाल दिया जाता है तब ही आपको एहसास होता है की आपकी पावर क्या  है और आप इस समय क्या है |


लेकिन यह भी अच्छा समय होता है क्यो की उस समय आपका best आपके सामने उभर कर आता है | और फिर मे भी मानने लगा की वो साल मेरे लिए बहुत ही खास थे क्यो की उस समय ही मुझे popularity सबसे ज्या दा मिली थी| और उस समय मुझे लगा की अभी समय बाकी है और मे अब भी कुछ कर सकता हु | और जीवन का गेम तो अभी शुरू हुआ है | 


1.

    असफलता भी स्वीकारे -

. सच्चाई माननी ही होगी की हर दिन सुनहरे नहीं होते है |

. हमसे गलतिया तो होंगी लेकिन इससे जीवन रुकेगा नही  |

. यह आपको मानना होगा की जब तक आपको असफलता नहीं मिलेगी तब तक आपको सफलता नहीं मिलेगी |



जीवन हमे यह नहीं भूलना चाहिए की दुनिया बहुत ही जालिम है और हमे कठोर तरीके से मज़ा चखाएगी , अगर आपको सफलता की कीमत नहीं पता तो आप चाहे लाख कोशिश कर लो आपको सफलता नहीं मिलेगी लेकिन अगर आपने असफल होने स कुछ सीख लिया तो आपको सफलता जरूर ही मिलेगी |


चलिये आपको एक किस्सा सुनात हु की मुझे हाल ही मे किसी मे पूछा की ज़िंदगी केसी चल रही है तब मेने कहा  था की अच्छी चल रही है पर उस समय की मिस करता हु जब मे सुबह के 7 बजे उठता था , और सोचता था की आज मेरी exaam है और सबकी निगाहे मुझ पर ही है , दिनो मे उतार - चड़ाव बेहद ही जरूरी  है|

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 इसलिए आपको प्रेसर मे आना ही होगा | सौरव गांगुली कहते है की मे शर्त लगा कर कह सकता हु की प्रेसर एक ऐसी चीज है जिसकी अगर आपको आदत हो जाए तो आप  उसमे भी मज़ा निकाल लेते है | 


आप दो साल मे इसके आदि हो जाते है और इसका मज़ा लेने लगते है | क्यो क आपका शरीर उस प्रेसर की स्वीकार कर लेता है और आपको मज़ा दिलाता है |


और आप अपने शरीर को उस स्थिति के अनुसार ही ढाल लेते है | तब आपको लगेगा की जो भी हुआ मेरे अच्छे के लिए ही हुआ है और इसमे मेरे कोई भी नुकसान नहीं है |


तो दोस्तो केसी लगी आज की यह ब्लॉग कमेंट मे जरूर बताना ताकि हमे भी आपके बारे मे जानने को मिल सके की आपको किस तरह का कंटैंट चाहिए और हम भी आपको वेसा ही कोटेंट प्रोवाइड कराने की कोशिश करे |


Thank for Helps

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